लेखनी कहानी -18-Nov-2022
रोज लिखती हूं मैं जिसके एहसासों को
जाने कहां वो गुम है अपने ख्यालों में
क्या प्रेम की यही सज़ा है अधूरे हों
किसी की मोहब्बत में खुद को तबाह
कर एक नया कल लिखना है।
मेरी तन्हाईयो पर तेरा हक होता
जाने क्यों अब मुझे ग्वारा नहीं।
Sachin dev
18-Nov-2022 04:05 PM
Bahutt sunder 👌
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Ayshu
18-Nov-2022 09:56 AM
Nice
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RAKHI Saroj
19-Nov-2022 02:43 AM
Thank you
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